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परम पूज्य आचार्य

108 आदिसागर जी अंकलीकर परम्परा के आचार्य 108 तप्पसी सम्राट

जम्बू दीप के भारत क्षेत्र आर्य खंड भारत वर्ष उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के काकोरी नगर में परम पूज्य आचार्य 108 आदिसागर जी अंकलीकर परम्परा के आचार्य 108 तप्पसी सम्राट सन्मति सागर जी महाराज के परम प्रभाक शिष्य मुनि 108 श्री पार्श्व सागर जी महाराज की मंगल आशीर्वाद से भगवान पार्श्वनाथ धाम अमेथिया सलेमपुर काकोरी लखनऊ में 26 मई 2010 को भगवान पार्श्वनाथ धाम तीर्थ  का शिलान्यास पूज्य मुनिश्री के सानिध्य में हुआ,एवम भगवान पार्श्वनाथ धाम ट्रस्ट की स्थापना हुई ।

तत् उपरान्त अप्रैल 2012 में 108, आचार्य श्री चन्द्र सागर जी महाराज के सानिध्य में श्री मन्दिर जी का शिलान्यास इस साधु सेवा धाम का लोकार्पण हुआ । जहां वृद्ध एवम अशक्त मुनि आर्यिका आदि के सम्पूर्ण सेवा की जाती है।

श्री 1008 मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ जी के मंदिर का पंच कल्याणक अप्रैल 2015 में श्री 108 आचार्य दया सागर जी महाराज के सानिध्य में हुआ ।

भक्तों की भवाना को ध्यान में रखते हुए श्री कैलाश चंद्र जैन भारती परिवार ने 4 अन्य श्रावक बन्धु के साथ मिल कर पांच मानस्थंभ का निर्माण कराया। तथा 25 जनवरी से 30 जनवरी 2020 में चर्या शिरोमणि 108 आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में भव्य पंच कल्याणक महोत्सव हुआ ।

चर्या शिरोमणि 108 विशुद्ध सागर जी महाराज की मंगल आशीर्वाद से श्री सजल जी मयूरी जी काला दुर्ग निवासी ने 21 फिट 1008 भगवान आदिनाथ की पदमासन प्रीतमा की स्थापना कराई गई ।

परम पूज्य आचार्य

आचार्य श्री 108 महावीरकीर्तिजी महाराज

आचार्य श्री 108 विमलसागर जी महाराज

आचार्य श्री 108 सन्मतिसागरजी महाराज

आचार्य श्री 108 आदिसागर जी महाराज

लोगों की मदद

सर्वोत्तम शिक्षा

साफ सफाई

अच्छा स्वास्थ्य

भगवान की आराधना

जीवन का सौंदर्य क्या?

जीवन का सौंदर्य: जिन गुणों से जीवन को सकारात्मक गति मिले, वही होते हैं जीवन सौंदर्य के कारक सृष्टिकाल में सृजन के साथ ही सौंदर्य का भी प्राकट्य हुआ। जब सृष्टिकर्ता स्वयं सत्य शिव और सुंदर हो तो सृष्टि का इन गुणों से परिपूर्ण होना स्वाभाविक है पर सौंदर्य को निहारने के लिए सुंदर दृष्टि आवश्यक है।

शामिल हो जाओ

सभी जीवों की रक्षा करना जैन धर्म का मूल मंत्र है। यही कारण है कि पानी को भी छान कर पीने की बात कही जाती है। यह केवल जैन धर्मावलंबियों के लिए ही आदर्ष मात्र नहीं है। मानव जीव को मोक्ष की प्राप्ति तभी संभव है।